सती प्रथा का वास्तविक सच जो शायद कोई नहीं जानता है!
मित्रों आज का लेख एक ऐसे विषय पर है जिसको लेकर कुछ बुद्धिजीवी लोग सनातन धर्म पर समय - समय पर कुठाराघात करते आए हैं, सनातन धर्म को स्त्री विरोधी और अमानवीय धर्म बताने का प्रयास करते आए हैं। वाट्सएप ग्रुप और यह विषय है ‘सतीप्रथा’ जिसमें तथाकथित तौर पर विधवा स्त्री को पति के शव के साथ जला दिया जाता था किन्तु यह कितना सत्य और कितना मिथ्या है इस बात पर चिंतन करेंगे। मित्रों सर्वप्रथम कहना चाहूंगा कि इस प्रथा का नाम सती प्रथा इसीलिए पड़ा क्योंकि प्रजापति दक्ष की पुत्री माता सती शिव जी अर्थात अपने पति का अपमान हो जाने के कारण सभी देवताओं के समक्ष पिता के द्वारा कराए जा रहे के हवनकुंड में भष्म हो गई थी इसलिए इस प्रथा का नाम सती प्रथा रखा गया जो वह कहीं से भी उचित और तथ्य संगत नहीं लगता है क्योंकि उन्होंने पति के जीवित अवस्था में ही पति के अपमान के कारण आत्मदाह किया था ना कि पति के शव के साथ। मित्रों रामायण, महाभारत, गीता, और मनु स्मृति आदि किसी भी पुस्तक में इसका उल्लेख नहीं मिलता है। ना तो महाराज दशरथ की मृत्यु के प