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सती प्रथा का वास्तविक सच जो शायद कोई नहीं जानता है!

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            मित्रों आज का लेख एक ऐसे विषय पर है जिसको लेकर कुछ बुद्धिजीवी लोग सनातन धर्म पर समय - समय पर कुठाराघात करते आए हैं, सनातन धर्म को स्त्री विरोधी और अमानवीय धर्म बताने का प्रयास करते आए हैं।                        वाट्सएप ग्रुप             और यह विषय है ‘सतीप्रथा’ जिसमें तथाकथित तौर पर विधवा स्त्री को पति के शव के साथ जला दिया जाता था किन्तु यह कितना सत्य और कितना मिथ्या है इस बात पर चिंतन करेंगे।                  मित्रों सर्वप्रथम कहना चाहूंगा कि इस प्रथा का नाम सती प्रथा इसीलिए पड़ा क्योंकि प्रजापति दक्ष की पुत्री माता सती शिव जी अर्थात अपने पति का अपमान हो जाने के कारण सभी देवताओं के समक्ष पिता के द्वारा कराए जा रहे  के हवनकुंड में भष्म हो गई थी इसलिए इस प्रथा का नाम सती प्रथा रखा गया जो वह कहीं से भी उचित और तथ्य संगत नहीं लगता है क्योंकि उन्होंने पति के जीवित अवस्था में ही पति के अपमान के कारण आत्मदाह किया था ना कि पति के शव के साथ।             मित्रों रामायण, महाभारत, गीता, और मनु स्मृति आदि किसी भी पुस्तक में इसका उल्लेख नहीं मिलता है। ना तो  महाराज दशरथ की मृत्यु के प

फ्रिज का उपयोग करते हैं आप भी, तो अभी छोड़ दें।

          फ्रिज एक ऐसी वस्तु है जिसमें रखी हुई वस्तु को न तो सूर्य का प्रकाश मिलता है और न ही प्राकृतिक हवा। फ्रिज के काम करने के कुछ नियम है कि यह कमरे से नीचे का तापमान उत्पन्न करता है। यह प्राकृतिक तरीके से तो संभव है नहीं क्योंकि हमारे यहां कमरे का तापमान सामान्य रूप से 20 से 30 डिग्री होता है।           तापमान कम करने के लिए फ्रिज में उन गैसों का प्रयोग किया जाता है जो तापमान काम करने के काम आते हैं। फ्रिज में तापमान कम करने के लिए। ये गैसें बहुत ही हानिकारक होती है। और फ्रिज में ऐसी एक दो नहीं बल्कि अनेक गैसें होती हैं। जो बारह प्रकार के CFC (cbloro fluro carbon) होते हैं।            इन गैसों में क्लोरीन विष के समान होता है, फ्लोरीन उससे भी विषैला होता है तथा कार्बन कि बात की जाए तो यह ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया करके कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बन डाई ऑक्साइड आदि बनाता है जो हमारे लिए बहुत घातक होता है।             जब हम खाद्य पदार्थ को फ्रिज में रखेंगे तो इन गैसों का प्रभाव खाद्य पदार्थ पर पड़ेगा ही। अब यही कोई उस खाद्य पदार्थ को ग्रहण करेगा तो वह उसके लिए विष के समान होगा ही।  तब तो उ

वास्कोडिगामा ने भारत खोजा नहीं अपितु लूटा था।

              दोस्तों आपलोग इतिहास के किताबों में पढ़ा होगा कि वास्कोडिगामा ने 1498 इश्वी में भारत का खोज किया, लेकिन इतिहास के लेखकों  को शायद यह बात पता नहीं है ये भारत करोड़ों वर्ष पुराना देश है। इस देश की सभ्यता और संस्कृति सबसे पुरानी है, इस देश कि भाषा सभी भाषाओं की जननी कहलाती है। इस देश की सभ्यता और संस्कृति अन्य सभी देश के सभ्यताओं और संस्कृतियों की जननी कही जाती है। उस देश को एक पुर्तगाली व्यक्ति वास्कोडिगामा खोजा। ऐसा कभी हो सकता है?                जबकि सच यह है कि यह एक लुटेरे थे जो भारत को लूटने आये थे इन लोगों का काम ही था लोगों को लूटना ।इसकी वजह आप जानकर आश्चर्य में पड़ जाओगे ।               15 वीं शताब्दी में स्पेन और पुर्तगाल दोनों देश आपस में मिलकर  समुद्री जहाजों को लूटा करते थे और लूट कर लूट की रकम आपस में बांट लिया करते थे। एक बार दोनों देशों के बीच आपस में इस बात को लेकर झगड़ा हो गया कि लूट का ज्यादा रकम किसे मिले। उस समय वहां पर पोप (ईसाई का धर्मगुरु) की सत्ता थी तो इस झगड़ा को सुलझाने के लिए दोनों देश छठवां पोप (जॉन पाल द्वितीय) के पास पहुंचे । पोप ने पूरी दुनि