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चाय - कॉफी: एक मीठा जहर!

           वर्तमान समय में विदेशों के साथ - साथ भारत में भी चाय का प्रयोग दिन – प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।           लोगों में एक विश्वास है कि चाय - कॉफी पीने से शरीर तथा मस्तिष्क में स्फूर्ति उत्पन्न होती है। वास्तव में चाय - कॉफी स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है। कई डॉक्टरों के द्वारा किये गए प्रयोग से यह साबित हो चुका है कि चाय - कॉफी के सेवन से नींद उड़ जाती है, भूख मर जाती है, दिमाग में खुश्की आने लगती है तथा मधुमेह जैसे रोग उत्पन्न होते हैं।           एक प्रयोग से यह पता चला है कि चाय के एक प्याले में कई तरह के विष होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य पर अपना दुष्प्रभाव डालते हैं। चाय के एक प्याले में 18% ‘टैनिन’ नामक विष होता है। इसके प्रभाव से पेट में घाव और गैस पैदा होता है। चाय में उपस्थित दूसरे विष का नाम है ‘थीन’ । इसकी मात्रा 3% तक होती है। इससे खुश्की होती है तथा फेफड़ों एवं दिमाग में भारीपन पैदा होता है। तीसरे विष का नाम है ‘कैफीन’ । इसकी मात्रा लगभग 2.5% होती है। यह शरीर में अम्ल बनाता है तथा गुर्दों को कमजोर करता है। गर्म चाय पीते समय इससे निकलने वाली वाष्प आंखों पर हानिकारक प

क्या आप भी पीते हैं जर्सी गाय का दूध? हो जाइए सावधान!

           आज के समय में जर्सी गाय को पालकर उससे प्राप्त अधिक दूध को श्वेत क्रांति मानने वाले लोग शायद इस बात से परिचित नहीं हैं कि वे जर्सी गाय का दूध खाकर/पीकर किस तरह सफ़ेद जहर को आसानी से ग्रहण कर रहे हैं।           आप लोग यह नहीं जानते हैं कि अधिक मांस और दूध प्राप्त करने के लिए जर्सी गाय को सुअर के जिन (gene) से बनाया गया है।            जर्सी गाय से प्राप्त दूध में ए-1 बिटा केसिन नामक प्रोटीन पाया जाता है जो पेप्टाइड्स में तो बदलता है लेकिन यह पेप्टाइड्स पुनः अमीनो अम्ल में नहीं बदलता है जिससे यह दूध(जर्सी गाय का दूध) हमारे पेट में नहीं पचता है। नहीं पचने के कारण यह हमारे लिए विष के समान हो जाता है जो अनेक बीमारी उत्पन्न करता है। जैसे- मधुमेह, कैंसर, एलर्जी, दिल के रोग और  घुटना दर्द आदि ।          जर्सी गाय के दूध में पाया जाने वाला प्रोटीन उपरोक्त बीमारियों के साथ- साथ लिवर, किडनी, पैनक्रियाज और मस्तिष्क  के लिए भी हानिकारक प्रभाव उत्पन्न करता है।           डेनमार्क में जर्सी गाय के दूध को श्वेत जहर भी कहा जाता है। डेनमार्क में अधिक दूध होने पर सरकार इसे समुद्रों में फिकवा देती